ग्रेटा थनबर्ग बनी टाइम्स 'पर्सन ऑफ दी ईयर', कई देशों की कार्रवाई को भ्रम पैदा करने वाला बताया
क्लाइमेट चेंज एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग को टाइम्स मैगजीन ने साल 2019 के लिए 'पर्सन ऑफ दी ईयर' चुना गया है। ग्रेटा ने सबसे कम उम्र में यह सम्मान हासिल किया है। वे अपने प्रभावशाली और आक्रमक भाषणों को लेकर चर्चा में रही हैं। उन्होंने इस साल संयुक्त राष्ट्र की क्लाइमेट एक्शन समिट में भी भाषण दिया था।। दुनियाभर में इस भाषण की काफी तारीफ हुई थी। बता दें कि ग्रेटा एस्पर्गर सिंड्रोम से पीड़ित हैं।
टाइम्स मैगजीन ने ग्रेटा को 'पर्सन ऑफ द ईयर' चुने जाने पर कहा किवह पूरे विश्व का ध्यान खींचने में सफल रहीं हैं, लाखों अस्पष्ट विचारों को बदला, तत्काल बदलाव का आह्वान कर बेचैनियों को एक वैश्विक आंदोलन में बदल दिया। उन्होंने काम करने के इच्छुक लोगों ने नैतिक आह्वान किया और जो इसके लिए तैयार नहीं थे, उन पर आक्रोश व्यक्त किया। उन्हें संयुक्त राष्ट्र महासचिव से मुलाकात का मौका मिला, तो वहीं उन्हें सुनने वालों में बड़े देशों के राष्ट्रपति के साथ ही पोप भी शामिल रहे। वह धरती के सबसे बड़े मुद्दे पर सबसे बड़ी आवाज बनकर उभरी हैं। ग्रेटा कार्रवाई की मांग करती है। उनका कहना है कि कई कदम गलत दिशा में उठाए जा रहे हैं, इसमें सुधार होना चाहिए।
जब उन्हें यह सम्मान मिला तब वे मैड्रिड में एक शिखर सम्मेलन में अमीर देशों पर ग्रीन हाउस उत्सर्जन को कम करने से बचने के तरीके इजाद करने का आरोप लगाया है। जलवायु परिवर्तन के खिलाफ उनकी कार्रवाई को ''भ्रम'' पैदा करने वाला बताया। थनबर्ग ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र जलवायु मंच को तेजी से बढ़ते वैश्विक जलवायु परिवर्तन को कम कर दुनिया को बचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जो अब इन देशों के लिए खामियों का फायदा उठाने और जलवायु परिवर्तन पर अपने लक्ष्य से बचने का अवसर बन गया है।
ग्रेटा ने कहा कि ये देश वास्तविक कार्रवाई से बचने के लिए चतुराई वाले रास्ते तलाश रहे हैं। 2015 के ऐतिहासिक पेरिस जलवायु समझौते की नियम पुस्तिका को अंतिम रूप देने के लिए दुनिया के देश स्पेन की राजधानी में इकट्ठा हुए हैं। पेरिस जलवायु समझौते का लक्ष्य वैश्विक तापमान को दो डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना है और संभव हो तो इसे 1.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचाना है। संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष जलवायु संस्था आईपीसीसी ने कहा कि 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को पाने का सुरक्षित तरीका यही है कि ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन करने वाले कोयला, पेट्रोलियम तेल और गैस के इस्तेमाल में तीव्रता से कमी लाई जाए।